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मदरहुड विश्वविद्यालय में नशा मुक्ति विषय पर सेमिनार का आयोजन
मदरहुड विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवम् व्यवसाय संकाय में एडिक्शन एण्ड परसनैल्टी डिस्ट्रक्शन ऑफ यूथ-ए कर्टिव एप्रोच विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संकाय अधिष्ठाता प्रो० पी०के० अग्रवाल एवम् व्यवस्था व संचालन डा० स्नेहाशीष भारद्वाज एवम् विवेक शर्मा ने किया।
सेमिनार का आरम्भ प्रो अग्रवाल एवम् साई कृपा फाउण्डेशन के आगुन्तक श्रीमती रश्मि सेन, श्री विष्णु अग्रवाल, श्री दिनेश शर्मा द्वारा माँ सरस्वती के समक्ष दीपोज्वल कर किया गया। तत्पश्चात स्वागत एवम् अध्यक्षीय भाषण में प्रो० अग्रवाल जी ने साई कृपा फाउण्डेशन से आये श्रीमती रश्मि सेन, श्री विष्णु अग्रवाल, श्री दिनेश शर्मा जी का परिचय एवम् विषय पर प्रकाश डाला।
प्रो० अग्रवाल ने पंजाब, दिल्ली, मुम्बई में युवाओं का नशे के प्रति आकर्षण और उसके दुष्परिणाम पर व्याख्यान किया, प्रो० अग्रवाल ने कहा, नशे का शिकंजा युवा पीढ़ी के भविष्य को अंधकार में ले जा रहा है। नशा एक धीमा जहर है, इसके सेवन से युवा अपने आप के साथ अपने परिवार को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से खोखला बना रहा है। आज की युवा पीढ़ी शराब, तम्बांकू उत्पाद, चरस, अफीम सहित अन्य नशीले पदार्थो के अलावा मोबाइल आदि का इस्तेमाल कर रही है जो युवाओं को पथभ्रष्ट कर रही है।
प्रो० अग्रवाल ने श्जस्ट से नो टू ड्रग-पहला प्रहार ही अन्तिम बार हैश् का आवाह्न किया। समाज में अपराध की मुख्य वजह नशा ही है आधे से अधिक अपराध या तो नशे की हालत में या नशीली चीजों के कारण होते है। नशा विकसित समाज के लिए काला धब्बा है जो धीरे-धीरे पीढ़ियों को समाप्त कर देता है।
साई कृपा फाउण्डेशन के डायरेक्टर विष्णु अग्रवाल ने भी उपस्थित छात्रों को नशे की लत लगने के प्रारम्भिक कारणों पर प्रकाश डाला, विष्णु अग्रवाल जी ने श्हाँैश् और श्नाश् में एक बड़ा अन्तर बतलाया जो विद्यार्थियों की जीवन दिशा को बदलने के लिए एक महत्वपूर्ण पहलु साबित होता है इस कारण नशे को न कहे और अपने जीवन को सुखद बनाये।
इसी क्रम में साई कृपा फाउण्डेशन से रश्मि सेन ने कहा सिनेमा जगत का नशाखोरी फैलाने मंे बहुत बड़ा हाथ बताया, टीवी, फिल्मों मंे खुलेआम शराब, सिगरेट, गुटखा खाते हुए लोंगो को दिखाया जाता है, जिससे आम जनता विशेषकर बच्चे और युवा प्रभावित होते है और उसे अपने जीवन में उतार लेते है। टीवी पर तो इसके बड़े बड़े विज्ञापन भी आते है जिस पर हमारे देश की सरकार भी कोई सख्त कदम नही उठा रही है, युवा पीढ़ी टीवी पर देखती है, कैसे किसी का दिल टूटने पर जब गर्लफ्रेंड या पत्नी छोड़कर चली जाती है तो हीरो शराब पीने लगता है बस वो भी इसे देख अपने जीवन में उतार लेता है।
रश्मि सेन के विद्यार्थियों को नशे से श्प्रथम नश् कहना सबसे अधिक महत्वपूर्ण बताया, सेन ने कहा युवा स्कूल व कॉलेज में बीड़ी, सिगरेट, गुटखा का सेवन मस्ती करने के लिए करते है लेकिन बाद में इनकी लत लग जाती है। विद्यार्थियों ने भी नाटक मंचन में अपना पूर्ण दिया एवम् उत्कृष्ट अभिनय कर सभी उपस्थितजनों का हृदय जीता।
रश्मि सेन जी ने विद्यार्थियों को नशे के कुप्रभाव एवम् उनसे होने वाले दीर्घकालीन दुष्परिणामों को शब्दों से ही नहीं अपितु उपस्थित विद्यार्थियों को एक नाटक उनके द्वारा ही करा कर समझाया जो विद्यार्थियों की नशे के प्रति चेतना को जागृत करने में एक रामबाण साबित हुआ और विद्यार्थियों द्वारा कार्यक्रम में अन्त में लिए गये लिखित फीडबैक से छात्रों का नशें के विषय में जानकारी का मूल्यांकन किया।
साई कृपा फाउण्डेशन से दिनेश शर्मा जी ने भी अपने ऊपर हुए नशे के दुष्परिणामों को विद्यार्थियों से साझा किया एवम् अपने शरीर में होने वाले परिवर्तनों का और उनके कारण शरीर में होने वाली कठिनाइयों से परिचय कराया। तनाव, नशा करने वाला इन्सान अपना आपा खो देता है, उसे याद नही होता है वो कहाँ है क्या कर रहा है, नशे वाला इन्सान घरेलू हिंसा को दावत देता है वो आने जाने घर में अपनी बीवी बच्चों को मारने लगता है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में वाणिज्य एवम् व्यवसाय संकाय से डा० सुरेश, डा० राहुल, डा० रिचा, डा० कार्तिक, डा० ज्योति, डा० स्नेहाशीष, मधु रानी, साक्षी कर्ण, कनिका, हेमन्त कपूर, अरिजीत, अतुल, अंजना मेघा कुमारी, अंकुर सिंह, विवेक शर्मा, राजवीर सिंह आदि का योगदान सराहनीय रहा।