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विधिक व्यवसाय का लक्ष्य न्याय की स्थापना के माध्यम से लोक कल्याण का साधन करना होता है, विधि व्यवसायी का कार्य उस लक्ष्य की उपलब्धि में अपना सहयोग करना होता है। इसके लिए उसे अत्यंत सूक्ष्मता के साथ अपने मामले की तैयारी करनी पड़ती है।यह कौशल लंबे अभ्यास की अपेक्षा करता है। ये बातें उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त बी0 एस0 वर्मा ने मदरहुड विश्वविद्यालय के विधि संकाय के मूटकोर्ट सभागार में आयोजित प्रांतीय स्तरीय मूटकोट प्रतियोगिता में कहीं।

न्यायमूर्ति वर्मा इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभागियों का मार्गदर्शन कर रहे थे। उन्होंने विधि शिक्षा में क्लीनिक लीगल एजुकेशन के उपकरणों का महत्व दर्शाते हुए कहा कि अपने शिक्षकों की उपस्थिति में मामलों के तथ्यों के बारे में विद्यार्थी अपनी समझ का विकास करते हैं। मूटकोर्ट के शिक्षण का वातावरण उनके कार्य में उत्प्रेरक की भूमिका निभाता है।

मदरहुड विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय डॉ नरेंद्र शर्मा जी ने माननीय न्यायमूर्ति श्री बी0 एस0 वर्मा जी ने स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका स्वागत किया। उन्होंने कहा की विधिक शिक्षा में व्यवहारिक ज्ञान का उतना ही महत्व है जितना की सैद्धांतिक ज्ञान की आवश्यकता होती हैए हम पुस्तकिए ज्ञान को तब तक पूर्ण नहीं मान सकते जब तक कि हम उसे व्यवहार में नहीं उतार सकते इस प्रकार की प्रतियोगिता हमारे इस ज्ञान को और अधिक बढ़ने का कार्य करते हैं साथ ही हमें लगातार उसे ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है।

मदरहुड विश्वविद्यालय के शैक्षणिक निदेशक प्रो वी के सिंह ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षार्थियों के लिए शिक्षण के विभिन्न अवसर उपलब्ध कराना शैक्षणिक संस्थाओं का मूल उद्देश्य होता है । शिक्षार्थी इन सुविधाओं का सम्यक उपयोग कर सके इसके लिए प्रबंधन के द्वारा उपयुक्त वातावरण का निर्माण किया जाता है। विधि की शिक्षा पाठ्यक्रम में मूट कोर्ट की व्यवस्था एक सहायक शैक्षिक उपकरण के रूप में की जाती हैए जिसके माध्यम से शिक्षार्थियों को समुचित अवसर मिलता है कि वे समस्याओं का प्रत्यक्ष सामना करते हुए उन समस्याओं के समाधान के तकनीकी से परिचित हो उनका अभ्यास करें और उसमें उच्च स्तर की कुशलता प्राप्त करें। व्यावसायिक कौशल निरंतर अभ्यास से ही दक्षता की स्थिति को प्राप्त होते हैं।

इस अवसर पर अपने उद्बोधन में विधि संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर डॉ जे एस ण्पी श्रीवास्तव ने योगरू कर्मसु कौशलम् सूत्र का संदर्भ देते हुए यह कहा कि वर्तमान लौकिक जीवन में अपने लक्ष्य के संधान के लिए योगी की भांति दत्तचित्त होकर निरंतर अभ्यास करने की आवश्यकता होती है जिसके परिणाम स्वरूप विद्यार्थी अपने कार्य में कुशलता को प्राप्त होता है। यह कुशलता ही उसके जीवन को एक नया आयाम और प्रगति को एक नई ऊंचाई प्रदान करती है।

विधि संकाय की ओर से सहायक आचार्य श्री विवेक कुमार तथा अधिवक्ता परिषद की ओर से डॉ श्री पदम गिरी ने कार्यक्रम का संयोजन किया। इस कार्यक्रम में विधि संकाय मदरहुड विश्वविद्यालय से डॉ नलनीश चंद्र सिंहए डॉ हरणचरण सिंहए डॉ अखिलेश यादव डॉ संदीप कुमार रेनू तोमर रंजना सैनी विकास वर्मा अंनिदिता चटर्जी एवं समस्त संकाय सदस्यए महाविद्यालय परिसर में शिक्षारत कक्षाओं की छात्र.छात्राएं तथा अधिवक्ता परिषद रुड़की की इकाई की ओर से श्री विनीत कुमार जी नगर मंत्रीए श्रीमती सीमा चौधरी नगर विधिक व्यवसाय का लक्ष्य न्याय की स्थापना के माध्यम से लोक कल्याणअध्यक्ष महिला सेलए श्री दिनेश सिंह पवार नगर अध्यक्ष रुड़कीए सुश्री जया भट्टाचार्यए श्री राजकुमार सैनी उपाध्यक्षए श्री दीपक भारद्वाज सदस्य राष्ट्रीय अधिवक्ता परिषदए हिमानी बोहरा आदि उपस्थित रहे।