मानवाधिकार पर तकनीक के अप्रत्याशित आक्रमण का समाधान भारतीय विधिक व्यवस्था में उपलब्ध है
मानवाधिकारों के संरक्षण की चिंता आज के विश्व की विकराल समस्याओं में से एक हैं। मौजूदा समय में तकनीकी के अप्रत्याशित दखलअंदाजी के कारण यह और भी गंभीर हो चुकी है। इसके समाधान के लिए विधिक हस्तक्षेप आवश्यक हो चुका है। सौभाग्य की बात है कि हमारे संविधान ने आवश्यक व्यवस्था का निर्माण किया है। संविधान के भाग 3 और भाग 4 में संविधान निर्माताओं ने ऐसे प्रावधान रखे हैं जो आधारभूत विधिक संरचना का निर्माण करते हैं। ये बातें हरिद्वार जनपद के जनपद एवं सत्र न्यायधीश श्री प्रशांत जोशी ने कही। श्री जोशी आज मदरहुड विश्वाविद्यालय के विधि संकाय द्वारा आयोजित ‘चैलेंज इन प्रेजेन्ट एरा टू मैटेरियलाइज द ह्युमन राईट्स इन इण्डिया” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों के संरक्षण के प्रयासों का उल्लेख करते हुए उन्होंने 1948 में मानवाधिकारों की सार्वभौम उद्घोषणा का विशेष उल्लेख किया । उन्होने इस बात को भी प्रकाशित किया कि उच्चतम न्यायालय की अगुआई में भारतीय न्यायपालिका ने हर समय मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अनेक उल्लेखनीय प्रयास किए हैं।
समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डा.) नरेन्द्र शर्मा ने अपना आशीर्वचन देते हुए कहा कि विधि-संकाय द्वारा आयोजित यह सेमिनार अपनी सफलता को प्राप्त कर चुकी है। मुझे इस बात का संतोष है कि भारत के सुदूर अरुणाचल प्रदेश से लेकर दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु तक के विद्वानों ने अपने विद्वतापूर्ण योगदान से इस आयोजन को सफल बनाया। भारतीय संस्कृति की विशिष्टता का उल्लेख करते हुए प्रो० शर्मा ने बताया कहा’ कि हमारी शास्त्रीय परंपरा के साथ-साथ लोक-परंपरा में भी मानव मात्र को नारायण का दर्जा दिया जाता है। का क जगत में प्रथम सांस से लेकर मनुष्य के जीवन पर्यंत और उसके धरा धाम से प्रस्थान के उपरांत भी भी लोक-कल्याण की चिंता करना हमारी संस्कृति का आधार है।
उन्होंने यह आशा व्यक्त की कि इस आयोजन / प्रस्तुत विद्वानों के सुझावों को आधार बनाकर इम वर्तमान के भारतीय समाज के समक्ष उपस्थित संकट का सफल समाधान ढूंढ पाएंगे।
समापन सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित सिविल जज (सीनियर डिवीजन) तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हरिद्वार की सचिव सुश्री सिमरनजीत कौर ने कहा कि संविधान द्वारा संरक्षित मानवाधिकारों के संरक्षण में निःशुल्क, विधिक सहायता और परामर्श एक मील का पत्थर है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अधीन भारतीय न्यायपालिका जनपद स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक सदैव यह प्रयास करती है कि समाज के निर्बल एवं वंचित वर्ग का कोई भी व्यक्ति अन्याय से पीड़ित न रहे। उन्होंने इस क्रम में विभिन्न स्तरों पर स्थापित विधिक सेवा प्राधिकरणों की व्यवस्था तथा उनकी कार्य-प्रणाली का विस्तार से परिचित कराया । विद्वत समाज के समक्ष अपने भाषण में उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि मानव-अधिकार संरक्षण के लिए निर्मित व्यवस्थाएं तब तक अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकती जब तक कि समाज के सम्मिलित प्रयास का संबल नहीं प्राप्त हो जाता ।
उत्तराखंड राज्य संवर्ग के सहायक जीएसटी आयुक्त श्री रजनीश शाही जी विशिष्ट अतिथि के रूप में समारोह में उपस्थित थे। उन्होंने मानवाधिकार संरक्षण में शासन की सफल नीतियों एवं मानवाधिकारों के आदर की भावना को रेखांकित करते हुए कहा कि इन महत्वपूर्ण अधिकारों के प्रति उत्तराखंड सरकार अत्यंत सजग है। इस परिप्रेक्ष्य में अनेक व्यावहारिक अनुभवों को भी उन्होंने सत्र के दौरान साझा किया।
समापन सत्र के आरंभ में संगोष्ठी के आयोजन सचिव और विधि संकाय में एसोसिएट प्रोफेसर डा. नलनीश चन्द्र सिंह द्वारा सम्पूर्ण आयोजन की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। श्री सिंह के अनुसार इस संगोष्ठी में अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु तथा महाराष्ट्र जैसे दूरवर्ती राज्यों सहित कुल सत्रह राज्यों के 383 प्रतिभागियों की सहभागिता रही। इस संगोष्ठी में विगत दो दिनों में सम्पन्न कुल चार विशिष्ट तकनीकी सत्रों के अंतर्गत विभिन्न स्थानों से आए हुए कुल अट्ठानबे विद्वानों ने अपने शोध-पत्रों का वाचन किया। श्री सिंह ने अंत में आशा व्यक्त की कि इन सुझावों को आधार बनाकर नीति-निर्माण तथा विधिक प्रावधानों के क्रियान्वयन में एक नवीन पहल का आगाज हो सकेगा जोकि इस आयोजन की मुख्य सफलता होगी ।
विधि संकाय के अधिष्ठाता प्रो. (डा०) जयशंकर प्रसाद श्रीवास्तव ने सत्र में उपस्थित अतिथियों तथा समस्त प्रतिभागियों का स्वागत किया। इस सत्र के दौरान विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा0 अजय गोपाल शर्मा सहित सभी प्रमुख अधिकारीगण, समस्त संकायों के अधिष्ठातागण एवं विभागाध्यक्ष उपस्थित रहे।
समापन सत्र के आयोजन व्यवस्था में संकाय के वरिष्ठ अध्यापकगण डा0 संदीप कुमार, डा0 जूली गर्ग, श्री सतीश कुमार, श्रीमती व्यंजना सैनी, श्रीमती रेनू तोमर, श्री विवेक कुमार, सुश्री श्रीतू आनंद, सुश्री आशी श्रीवास्तव, श्री रूद्रांश शर्मा, श्री राहुल वर्मा तथा सुश्री आयुषी वशिष्ठ ने विशेष योगदान दिया। लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था का संचालन श्री हेमंत कपूर की टीम तथा मिल्टन कुमार ने किया। समापन सत्र का सफल संचालन संकाय के असिस्टेंट प्रोफेसर सुश्री अनिंदिता चटर्जी ने किया।