Motherhood University
Enlightening World

MHU News & Events Feed

मदरहुड विश्वविद्यालय, रूड़की के वाणिज्य एवम् व्यवसाय संकाय में चल रहे चार दिवसीय फैकल्टी डवलपमैन्ट प्रोग्राम  का भव्य समापन किया गया। कार्यक्रम में देश-विदेश के अनेकों प्रबद्धयजनों का रहना हुआ। कार्यक्रम की मुख्य संरचना में संकाय अधिष्ठाता प्रो० पी०के० अग्रवाल संग प्रो० वी०के० सिंह -प्रोफेसर, गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार, डा० मुस्ताक दारजी- प्रोफेसर,  कश्मीर विश्वविद्यालय, डा० नारायण बसर- प्रोफेसर, पंडित दीनदयाल विश्वविद्यालय गुजरात एवम् प्रो० इमरान सलीम, प्रोफेसर, बुराइमी विश्वविद्यालय, अल बुरैमी, ओमान का रहना हुआ। चार दिनों के इस फैकल्टी डवलपमैन्ट प्रोग्राम में सभी शिक्षाविद्धों ने अपने-अपने विचार और शिक्षा के द्वारा भारत की विकासगति को बढ़ाने के प्रयासों पर अपना-अपना मत प्रस्तुत किया।
इसी क्रम में प्रो० वी०के० सिंह-गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय ने पाठ्यक्रम के परिणाम और कार्यक्रम के परिणामों की मैपिंग, वर्गीकरण में आने वाले स्तरों और छात्रों के लिए पाठ योजना और पाठ्यक्रम को डिजाइन करने में कैसे उपयोगी है, के बारे में विषय को संक्षेप में समझाया।
कश्मीर विश्वविद्यालय से जुड़े डा० मुस्ताक ने ब्लूम्स टैक्सोनाॅमी को यन्त्र बनाने को कहा और कोर्स का पाठ्यक्रम इसी पर आधारित होने पर जोर दिया।
डा० नारायण बसर, दीनदयाल विश्वविद्यालय गुजरात ने भी अपने ओ०पी०ई० माप-दण्ड़ों के मानकों को शिक्षा के विकास में प्रयोग करने की बात कही।
ओमान से जुड़े प्रो० इमरान सलीम ने किताबी शिक्षा के साथ-साथ शिक्षार्थियों को अन्य ज्ञानप्रद कार्यक्रम में माध्यम से शिक्षा और व्यक्तिगत आकलन माध्यम से दी जाने वाली शिक्षा पर ध्यान देने की बात कही। छात्रों को पढ़ाने और ज्ञान प्रदान करने के लिए गतिविधि-आधारित शैक्षणिक विधियों का उपयोग करने पर अपनी अंतर्दृष्टि पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने यह भी विस्तार से बताया कि कैसे ये गतिविधियां छात्रों में आत्मविश्वास पैदा करने और सीखने की क्षमता को बढ़ावा देने में सहायक होगी।
समापन सत्र में वाणिज्य एवम् व्यवसाय संकाय के अधिष्ठाता प्रो० पी०के० अग्रवाल ने सभी आगुन्तकों का आभार प्रस्तुत करने के साथ ही बताया कि भारत की पूर्व शिक्षा नीति को कोरी किताबी शिक्षा बतलाया एवम् नवीन शिक्षा नीति को परिणाम आधारित शिक्षा कह कर पुंकारा, प्रो० अग्रवाल ने कहा नवीन शिक्षा नीति को समझने और इससे अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए ऐसे कार्यक्रमों का होना अति आवश्यक बतलाया। शिक्षा केवल किताबी न रह जाये ये परिणाम आधारित हो इसके लिए शिक्षकों को भी सामयिक ज्ञान की आवश्यकता होती है जो शिक्षा, शिक्षक और शिक्षार्थी के लिए पारस मणि समान है जिसके सम्पर्क में आते ही सम्पूर्ण समाज स्वर्णम हो जाता है और भारत की वृद्धि में स्वर्णिम युग आधुनिक शिक्षक, शिक्षा और शिक्षार्थी के द्वारा ही सम्भव है।
कार्यक्रम में देश के 83 शिक्षकों ने प्रतिभाग लिया। कार्यक्रम का संचालन एवम् व्यवस्था में डा० राहुल शर्मा, सुश्री मधु रानी, डा० रिचा शर्मा, सचिन कुमार, साक्षी कर्ण, डा० हेमन्त कपूर, डा० कार्तिक नायडू, अंकुर सिंह, विवेक शर्मा, हरीश, करूणा धीमान, कनिका आदि का सहयोग सराहनीय रहा।